उत्तराखंड के रास्ते अब हो सकेगी कैलाश मानसरोवर की यात्रा, पूरा हुआ पीएम मोदी का सपना
17 हजार से ज्यादा फीट की ऊंचाई पर 80 किलोमीटर लम्बी यह सड़क कैलाश मानसरोवर को जोड़ने वाले लिपुलेख तक जाएगी. इस रोड का काम कई सालों से चल रहा था लेकिन ऊंचे पहाड़ और मुश्किल हालात से इसमें काफी दिक्कतें आ रही थी.
90 किलोमीटर सड़क यात्रा कर पहुंचेंगे कैलाश मानसरोवर
उत्तराखंड के रास्ते कैलाश मानसरोवर की यात्रा पीएम का सपना
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से कैलाश मानसरोवर की यात्रा में आज एक नया अध्याय जुड़ गया. अब उत्तराखंड के पारंपरिक लिपुलेख सीमा तक की सड़क बन जाने के बाद तीर्थयात्री सड़क मार्ग से कैलाश मानसरोवर के दर्शन करके एक-दो दिन में ही भारत लौट सकेंगे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को पिथौरागढ़ धारचूला से लिपुलेख को जोड़ने वाली सड़क का वीडियो कांफ्रेंस के जरिए उद्घाटन किया.
17 हजार से ज्यादा फीट की ऊंचाई पर 80 किलोमीटर लम्बी यह रोड कैलाश मानसरोवर को जोड़ने वाले लिपुलेख तक जाएगी. इस रोड का काम कई सालों से चल रहा था लेकिन ऊंचे पहाड़ और मुश्किल हालात से इसमें काफी दिक्कतें आ रही थी. अभी तक कैलाश मानसरोवर जाने में 3 हफ्ते से ज्यादा का वक्त लगता है जबकि लिपुलेख के रास्ते अब मात्र 90 किलोमीटर की सड़क यात्रा कर कैलाश मानसरोवर पहुंचा जा सकेगा.
मोदी सरकार की योजना धारचुला में पर्यटक आधार शिविर को विकसित करने की थी, जहां से तीर्थयात्री एक दिन में ही मानसरोवर के दर्शन करके भारत लौट सकें.
साल 2015 में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि अप्रैल 2017 में वे पिथौरागढ़ के नए रास्ते से पीएम मोदी को कैलाश मानसरोवर ले जाना चाहते हैं. ऐसे में बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) दिन-रात काम करके कैलाश मानसरोवर के इस नए रास्ते को बनाने में जुटा रहा. इस सड़क के बन जाने से कैलाश मानसरोवर जाने वाले यात्रियों की संख्या में इजाफा होने की उम्मीद है.
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